DADA-DADI NANA-NANI PUJAN SAMAROH
Event Start Date : 09/02/2019 Event End Date 09/02/2019
शिक्षा केवल साक्षरता नहीं है, किताबों से वह ज्ञान नहीं मिलता जो जीवन जीने के लिए जरूरी है I शिक्षा वह है जो बच्चे को जीवन जीने की कला सिखाए उसे संस्कार कहते हैं I जिस बच्चे को संस्कार मिल गए वह उसी प्रकार सुंदर हो जाता है जैसे किसी को हीरे जवाहरात मिलने पर होता है I माता पिता दादा दादी सभी पूजनीय है I परंतु आज के युग में माता पिता को ही कोई नहीं पूछता तो दादा दादी पीछे रह जाते हैं I डीएवी पब्लिक स्कूल जींद शिक्षा को संस्कारों से जोड़कर सामाजिक परिवेश का निर्माण करता है, इसलिए पिछले 20 वर्षों से निरंतर स्कूल में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों के दादा दादी और नाना नानी को स्कूल में बुलाकर के उनका पूजन समारोह किया जाता है जिसमें छोटे छोटे बच्चे अपने माता पिता के साथ दादा दादी नाना नानी का विधिवत पूजन करते हैं, चरण स्पर्श करते हैं I माला पहनाते हैं और उनका आशीर्वाद ग्रहण करते हैं, यह एक स्वर्ग जैसा नजारा होता है I भावों से परिपूर्ण दादा दादी के चमकते चेहरे और छोटे बच्चों का उत्साह देखने योग्य होता है, डीएवी संस्थाओं के क्षेत्रीय निदेशक डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी इस कार्यक्रम को उतना ही महत्व देते हैं जितना स्कूल में परीक्षाओं को महत्व दिया जाता है I वे बताते हैं अगर समाज से भ्रष्टाचार मिटाना है, परिवारों को जोड़ना है, देश को और स्वस्थ करने का निर्माण करना है उसका एकमात्र उपाय संस्कारित शिक्षा है I इस वर्ष भी प्रति वर्ष की भांति यह समारोह धूमधाम से संपन्न हुआ जिसमें हजारों की संख्या में दादा दादी नाना नानी ने बढ़ चढ़कर भाग लिया I दूर दूर से आए हुए नाना नानी और गांव से आय सजे धजे दादा दादी की रंगत ही अलग दिखाई देती थी I कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में 102 वर्षीय शरबती देवी का सम्मान रहा जो जींद में सबसे वयोवृद्ध महिला मानी जाती है I वह महिला इस कार्यक्रम में आई और इस कार्यक्रम की यही विशेषता है कि इसमें किसी मंत्री या अधिकारी को मुख्य अतिथि न बना कर दादा दादी नाना नानी में जो सबसे ज्यादा आयु का व्यक्ति होता है उसे ही मुख्य अतिथि बनाया जाता है और उससे कम आयु का होता है उसे अध्यक्ष का पद दिया जाता है इस वर्ष यह दोनों पद महिलाओं को दिए गए जिसमें मुख्य अतिथि की आयु 102 वर्ष और अध्यक्ष की आयु 95 वर्ष थी जिस समय 102 वर्षीय शरबती देवी को स्टेज पर लाया गया तो पंडाल तालियों से गूंज उठा I डॉ. विद्यार्थी जी ने मुख्य अतिथि व अध्यक्ष का फुल मालाओं से स्वागत किया व उनको डोगा व शाल भेंट कर उनको सम्मानित किया I अभिभावकों ने डॉ. विद्यार्थी जी ने इस कार्यक्रम की सराहना की कि ये हरपाल संस्कारों का पाठ पढ़ाने में निरंतर प्रयासरत रहतें हैं I लगभग 2 घंटे तक दादा दादी और नाना नानी का पूजन समारोह बड़े शानदार तरीके से रहा जिसमें बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत करके उसे और शानदार बनाया I दादा दादी नाना नानी को समर्पित गीत और नृत्य वातावरण में उसी प्रकार संजीवनी का कार्य कर रहे थे जिस प्रकार खेत में हरियाली और फूलों में होता है I कार्यक्रम का अंतिम चरण दादा दादी, नाना नानी के लिए खुला प्रतियोगिता स्थल रहा जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएं आयोजित की गई जिसमें बुजुर्ग दादियों और नानियों तथा नाना-नानी का उत्साह दर्शनीय था I बड़ी संख्या में लोगों ने सभी प्रतियोगिताओं में भाग लिया I डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी ने सभी विजयी प्रतियोगियों का अभिनंदन किया I कलीराम डीएवी पब्लिक स्कूल सफीदों की प्राचार्या श्रीमती रश्मि विद्यार्थी जी ने इस कार्यक्रम को अद्भुत और समाज के लिए उपयोगी बताया I उन्होंने कहा कि आज समाज में घरों में बुजुर्गों को इतना सम्मान नहीं मिलता जितना पहले मिलता था I इस प्रकार के कार्यक्रम बच्चों में यह ज्ञान देने की चेष्टा करते हैं I इन बुजुर्गों की वजह से ही हम हैं, हमारा समाज है I इसलिए धन्यवाद स्वरूप हमने उन्हें विधिवत नमस्ते करनी चाहिए और इनका सम्मान करना चाहिए I विभिन्न प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले प्रतियोगियों के विजेताओं के नाम इस प्रकार हैं :
लड्डू जोड़ खाना में दादा में श्री भलेराम बुरा जी प्रथम, और नानी में श्रीमती संतोष प्रथम रही I
पेस्टी खाने में श्रीमती कृष्णा व श्री महेंदर सिंह प्रथम रहे I
रोटी बेलना प्रतियोगिता में दादा नाना में श्री महेंदर सिंह व श्री करमचंद व दादी नानी में श्रीमती गंगा देवी व श्रीमती लता जैन प्रथम रहे I
गन्ने चूसने में दादा नाना में श्री दलबीर सिंह व श्री जय भगवान व दादी नानी में श्रीमती कृष्णा प्रथम रही I
अन्ताक्षरी प्रतियोगिता में दादी नानी की टीम ने दादा नाना की टीम को पछाड़ा I
रस्साकसी में दादा की टीम ने नाना की टीम को हराया I









